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3 May 2024 · 1 min read

*मां*

मां
मां जो रहती पास मेरे तुम,
आलिंगन से मुझे लगाती।

कुछ ना कह पाती मैं जब,
शब्द मेरे तुम बन जाती।
रुदन मेरा सुनकर के तुम,
पुचकारकर चुप मुझे कराती।
नज़र न लग जाए स्वयं की,
काला टीका मुझे लगती।

मां जो रहती पास मेरे तुम,
आलिंगन से मुझे लगाती ।

जब क्षुधा मुझे होती,
खाली पेट तुम्हारा हो जाता।
जब तृष्णा मुझे हो जाती,
कंठ तुम अपना सुखाती।
अश्रु बहता देख मेरे,
मन ही मन तुम रो जाती।

मां जो रहती तुम पास मेरे,
आलिंगन से मुझे लगाती।

मां जब भी मैं गिरकर,
चोटिल हो जाती,
पीड़ा में देख मुझे,
रो-रो कर औषधि मुझे पिलाती।
बहते अश्रु चक्षु से मेरे,
पर अंतरमन से
चोटिल तुम हो जाती।
चिंतित रहती रात्रि भर,
जगकर स्वयं मुझे सुलाती।

मां जो रहती पास मेरे तुम,
आलिंगन से मुझे लगाती।

आज नहीं तुम पास मेरे,
बस यादें बचपन की साथ मेरे।
दिन भर कुछ पल की बातों से,
मन मैं अपना तृप्त कर पाती।

मां जो रहती तुम पास मेरे,
आलिंगन से मुझे लगाती।

दूर भले तुम दृष्टि से,
असमंजस में मैं पड़ जाती,
जाने किन एहसासों से,
मेरी सारी विकलताओं को,
पलभर में तुम समझ जाती।

मां जो रहती पास मेरे तुम,
आलिंगन से मुझे लगाती।
मां जो रहती पास मेरे तुम,
आलिंगन से मुझे लगाती।।
डॉ प्रिया

Language: Hindi
1 Like · 105 Views

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