मां
मां तो भैया मां होती हैं,
बच्चों की हां में हां होती हैं।
बच्चो की खुशहाली के,
बीज सदा ही वो बोती हैं।
रूठे भले तुम से ये जमाना,
तुम रूठे तो खुद रोती हैं।
बनाकर अपने हाथ से खाना,
सबको खिलाकर ही सोती हैं।
पिता अगर आकाश हैं, मां
सहनशील धरती होती हैं।
मां की ममता की समता,
तीन लोक में न होती हैं।
सारे घर को करें जो रोशन,
मां तो सदा ऐसी जोती हैं।
रामनारायण कौरव