मां
मां तेरी बहुत याद आती है
बुलाकर खिलाना
खाना लेकर पीछे-पीछे घूमना
दोस्तों के साथ देर तक घूमने पर
फटकार लगाती है
मां तेरी बहुत याद आती है
पिता का डर दिखाकर काम करवाना
इम्तिहान पर जाने पर दही शक्कर खिलाना
थोड़ी सी चोट लगने पर घर सर पर उठा लेना
पिता के डांटने पर तू खुद भीड़ जाती है
मां तेरी बहुत याद आती है
पैसे कहां खर्च होते हैं तेरे
रोज डांट लगाती है
पर पॉकेट में पचास के नोट रोज डाल देती है
मैं गलती कर दूं तो
पिता बिगड़ ना जाए
पिता को तु समझाती है
गांव में किसी के साथ झगड़ता हूं
तो तू तुरंत भीड जाती है
चाहे गलती मेरी हो
पर दोसी तू उसे ही ठहराती है
मां तेरी बहुत याद आती है
सुशील चौहान
फारबिसगंज अररिया बिहार