मां सरस्वती स्तुति
??मां सरस्वती स्तुति???????????
हे!मां शारदे करें तुमको नमन,
जगत का कण-कण अनुरंजित,
मेरे मन की वीणा का सुर,
करे बहुत ही गुंजित।
चाह नहीं सोना चांदी की,
और न जग की चिंता,
मुझको बस चाहिए आलम्ब तुम्हारा,
सदा मां कृपा बरसाती रहें,
चाहे जगत विजित हो सारा।
हर शब्दों में तुम्ही बसी मां,
कलम लेखनी चलती तुमसे है,
ताल ,छंद ,संगीतों की,
सकल भक्ति तुमसे है।
अभय हुआ वो मनुष्य जगत में,
जिस उर में तुम करो बसेरा,
मां-बेटे सा रिश्ता शाश्वत
तेरा-मेरा—–
अंधकार जल गया, हिली नहीं शिखा,
प्रकाश -रोशनी से तमस् भरी धरा नहा गई,
कली-कली खिल गई,झूमती हैं शिखा।
अंधकार से प्रकाश की और,
असत्य से सत्य की और
अज्ञान से ज्ञान की और,
ले चलो——-
तमसो मां ज्योतिर्गमय!!!!!!
जय हो
वीणा-वादिनी
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सुषमा सिंह *उर्मि,,