मां शैलपुत्री
?विधा—- सार छंद आधारित गीत
?विषय— प्रथम स्वरूप (नवदुर्गा)
?रचना—-
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नवदुर्गे नव रूप लिए माँ , भक्तों के घर आईं।
अपने संग सौगात हर्ष की, जगजननी हैं लाईं।।
पान सुपारी अरु नारीयल, रोली गुड़हल माला।
धूप दीप नैवेद्य लिए कर, स्वागत करता लाला।।
पहले दिन माँ शैलसुता की, सबको बहुत बधाई।
अपने संग सौगात हर्ष की, जगजननी हैं लाईं।।
आओ भक्तों शैलसुता की,सब मिल सुने कहानी।
धर्मशास्त्र में वर्णित है जो, वेदों की यह वानी।।
शक्ति रूप वह सुता हिमाचल, माँ मैना की जाई।
अपने संग सौगात हर्ष की, जगजननी हैं आई।।
प्राण प्रिया शिव शंकर की माँ,विघ्नेश्वर की माता।
इनसे बढकर और नहीं है, भव में कोई दाता।।
पार्वती माँ शैलसुता ही, हेमवती कहलाईं।
अपने संग सौगात हर्ष की, जगजननी हैं लाई।।
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#घोषणा
मैं [पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’] यह घोषणा करता हूँ कि मेरे द्वारा प्रेषित रचना मौलिक एवं स्वरचित है।
[पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’]
स्थान:- दिल्ली