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9 Apr 2022 · 3 min read

मां महागौरी

🙏सुन्दरकांड 🙏
दोहा – 29
सभी वानर भगवान् राम को प्रणाम करते है
प्रीति सहित सब भेंटे रघुपति करुना पुंज॥
पूछी कुसल नाथ अब कुसल देखि पद कंज ॥29॥
करुणानिधान श्री रामचन्द्र जी प्रीतिपूर्वक सब वानरों से मिले और
उनसे कुशल पूछा-तब उन्होंने कहा कि हे नाथ!आपके चरण कमलो के दर्शन पाने से अब हम कुशल हें …,
श्री राम, जय राम, जय जय राम

जाम्बवान और प्रभु श्री राम का संवाद
ईश्वर की कृपा से भक्त का निरंतर कुशल
जामवंत कह सुनु रघुराया।
जा पर नाथ करहु तुम्ह दाया॥
ताहि सदा सुभ कुसल निरंतर।
सुर नर मुनि प्रसन्न ता ऊपर॥
उस समय जाम्बवान ने रामचन्द्रजी से कहा कि हे नाथ! सुनो,आप जिसपर दया करते हो-उसके सदा सर्वदा शुभ और कुशल निरंतर रहते हें-तथा देवता मनुष्य और मुनि सभी उस पर सदा प्रसन्न रहते हैं…,

भगवान् की कृपा का फल
सोइ बिजई बिनई गुन सागर।
तासु सुजसु त्रैलोक उजागर॥
प्रभु कीं कृपा भयउ सबु काजू।
जन्म हमार सुफल भा आजू॥
और वही विजयी (विजय करने वाला), विनयी (विनय वाला) गुणों का समुद्र होता है और उसकी सुख्याति तीनों लोकों में प्रसिद्ध रहती है॥यह सब काम आपकी कृपासे सिद्ध हुआ हैं और हमारा जन्म भी आज ही सफल हुआ है…,

जाम्बवान श्री राम को हनुमानजी के कार्य के बारें में बताते है
नाथ पवनसुत कीन्हि जो करनी।
सहसहुँ मुख न जाइ सो बरनी॥
(जो मुख लाखहु जाइ न बरणी॥)
पवनतनय के चरित सुहाए।
जामवंत रघुपतिहि सुनाए॥
हे नाथ! पवनपुत्र हनुमान जी ने जो काम किया है,उसका हजार मुखों से भी वर्णन नहीं किया जा सकता॥(वह कोई आदमी जो लाख मुखों से कहना चाहे,तो भी वह कहा नहीं जा सकता)…,
हनुमानजी की प्रशंसा के वचन और कार्य जाम्बवान ने रामचन्द्रजी को सुनाये…,

हनुमानजी और प्रभु श्री राम का संवाद
भगवान् राम हनुमानजी से माता सीता के बारें में पूछते है
सुनत कृपानिधि मन अति भाए।
पुनि हनुमान हरषि हियँ लाए॥
कहहु तात केहि भाँति जानकी।
रहति करति रच्छा स्वप्रान की॥
उन वचनों को सुन कर दयालु श्री रामचन्द्वजी ने उठ कर हनुमान जी को अपनी छाती से लगाया॥और श्रीराम ने हनुमानजी से पूछा कि हे तात! कहो, सीता किस तरह रहती है?और अपने प्राणोंकी रक्षा वह किस तरह करती है?॥

🚩🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️
🙌🚩🔱 मां जगदम्बे🔱हमेशा हमारा आपका मार्गदर्शन करती रहे…,

📖✒️जीवन की पाठशाला 📙

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

नवरात्र के आठवें दिन मां दुर्गा का स्वरूप:मां महागौरी

नवरात्र के आठवें दिन दुर्गाजी के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा और अर्चना का विधान है- जैसा कि इनके नाम से ही स्पष्ट है कि इनका वर्ण पूर्ण रूप से गौर अर्थात् सफेद है- इनके वस्त्र भी सफेद रंग के हैं और सभी आभूषण भी श्वेत हैं जिस कारण इन्हें श्वेतांबरी भी कहा जाता है-इनका वाहन वृषभ अर्थात् बैल है और इनके चार हाथ हैं-इनका ऊपर वाला दाहिना हाथ अभयमुद्रा में है और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है, बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू है और नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है…,

मंत्र:
या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

एक कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है-देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा…,

श्लोक:
श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बर धरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

Affirmations:
86.मै हर समय पूर्णतः परिपूर्ण हूं…
87.मुझे बराबर अविश्वसनीय उपहार मिलते रहते हैं…
88.मेरे सारे सबंध प्रेम से ओतप्रोत है…
89-मैं शांति से हूँ…
90-इस स्थिति की आवश्यकता को मुक्त करने में तैयार हूं…

बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ….सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ….!
🙏सुप्रभात 🌹
आपका दिन शुभ हो
विकास शर्मा'”शिवाया”
🔱जयपुर -राजस्थान 🔱

Language: Hindi
Tag: लेख
299 Views
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