मां भेजो किसी को लेने को।
मां भेजो किसी को लेने को,,,
तुम सब की बहुत याद आ रही है।।
हां सब प्रसन्न हैं ससुराल में मुझसे,,,
तेरी सिखाई बातें बहुत काम आ रही है।।
प्रत्येक आशा पर खरा उतरती हूं!!
मां मैं अब तुम जैसी लगती हूं!!
कभी कभी बचपन को,,,
कल्पना में जी लेती हूं।।
अपनें अल्हड़ पन पर थोडा रोकर,,,
स्वयं मुस्कुरा लेती हूं।।
जब तू डांटती थीं मुझको,,,
तब समझ में ना आता था।।
अब जब स्वयं बनी हूं इक लड़की की मां,,,
तो समझ में सब आया है।।
तेरा डांटना वो रसोई में,,,
काम को लेकर चिल्लाना।।
अब वास्तविकता में काम आया है,,,
तेरा वह सब मुझको सिखाना।।
मां हों मेरी तूमको धन्यवाद ना दूंगी,,,
पर मैंने ईश्वर को तुझमें पाया है।।
याद आ रही बातें बाबा,भईया और सभी की,,,
आसूं आज आंखों में छलक आया है।।
मां आनने में भेजो भईया, बाबुल को!!!
बड़ा ह्रदय कर रहा है तुम सबसे मिलने को!!!
ताज मोहम्मद
लखनऊ