मां नर्मदा नमामि देवी नर्मदे
नर्मदे हर नर्मदे हर, सदा कहना चाहता हूं
मैया चरण तेरी शरण, मैं सदा रहना चाहता हूं
नर्मदे हर नर्मदे हर, सदा कहना चाहता हूं
बहते सदा निर्मल यूं ही, मैं सदा रहना चाहता हूं
भवचक्र में निर्मल चलूं, बहता रहूं कहता रहूं
मां तेरा दर्शन सुहाना, दरस हरदम चाहता हूं
नर्मदे हर नर्मदे हर, सदा कहना चाहता हूं
मां मेरा बचपन मुझे दो, गोद में मुझको जगह दो
मैं सदा ही साथ तेरे, बना रहना चाहता हूं
मात दर्शन है अमिय, पान हरदम चाहता हूं
मां ये दुनिया जल रही, झूठी चमक में चल रही
पल रहे थोथे अहं, स्वाभिमान से खाली है मन
मां मुझे तुम ही संभालो, ध्यान हरदम चाहता हूं
मां सदा घाटों पर तेरे, गान हरदम चाहता हूं
नर्मदे हर नर्मदे हर सदा कहना चाहता हूं
छद्म माया में पड़ा, उम्र भर भागता रहा
स्वर्ग तो देखा नहीं, पर गोद से बढ़कर नहीं
मां मुझे अब मत उतारो, गोदी मैं हरदम चाहता हूं
नर्मदे हर नर्मदे हर सदा कहना चाहता हूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी