मां तुझे सलाम
तेरी रक्षा के खातिर
न सीमा पर तैनात हुआ,
फिर भी फिक्र हर बार रहती है,
सीमा से बढ़कर तेरी रक्षा की जरूरत है।
पानी को खत्म कर देगा, पेड़ों को बचाना है कटने से,
चिंता न सिर्फ सीमा की,
सीमा से बढ़कर तेरी रक्षा की जरूरत है
हर इंसान को इंसान बनाकर,
धरती पर वसुधैव कुटुंबकम् की परिभाषा समझाना होगा।
सीमा से बढ़कर तेरी रक्षा की जरूरत है।
जंगल, नदी और समुद्र,
जीवन की अमूल्य धरोहर है
हिमालय पर्वत गौरवशाली इतिहास को देखें
सर का ताज है भारत मां का,
सीमा से बढ़कर तेरी रक्षा की जरूरत है।
मशीनों से निकल कर,
प्रकृति से खिलवाड़ छोड़ कर,
विकृति को दूर करना है…मन से और धरती से,
धरा पर बसंत को दुबारा लेकर आना है
सीमा से बढ़कर तेरी रक्षा की जरूरत है।
मां तुझे सलाम
तेरी रक्षा के खातिर,
न सीमा पर तैनात हुआ,
फिर भी फिक्र हर बार रहती है,
क्योंकि………सीमा से बढ़कर तेरी रक्षा की जरूरत है।
-डा.कल्पना गवली