मां के आंसू
ए जननी ! तेरी पीड़ा अब सही नहीं जाती ।
आंखों से बहती खून के आंसुओं की जलधार देखी नहीं जाती ,
अपनी बेटी के इंसाफ के लिए तेरा गिड़गिड़ाना , बड़ा तीर सा चुभता है ।
,मगर हाय ! भगवान को भी तुझ पर दया क्यों नहीं आती।
ए जननी ! तेरी पीड़ा अब सही नहीं जाती ।
आंखों से बहती खून के आंसुओं की जलधार देखी नहीं जाती ,
अपनी बेटी के इंसाफ के लिए तेरा गिड़गिड़ाना , बड़ा तीर सा चुभता है ।
,मगर हाय ! भगवान को भी तुझ पर दया क्यों नहीं आती।