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12 Mar 2021 · 1 min read

मां के आंचल होय, सदा ही काशी काबा।

काशी काबा सब यहीं,मां चरणन में होय।
जो मां की सेवा करे,कंटक रहे न कोय।।
कंटक रहे न कोय,कटें सब फंदे उसके।
धर्म नहीं है और,जगत में इससे बढ के।।
कहै अटल कविराय, गये कह हमरे बाबा।
मां के आंचल होय, सदा ही काशी काबा।।

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