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12 Jul 2024 · 1 min read

मां के आंचल में कुछ ऐसी अजमत रही।

ग़ज़ल

212/212/212/212
मां के आंचल में कुछ ऐसी अजमत रही।
मुझको सबकुछ मिला मेरी किस्मत रही।1

एक माॅं दे दी जिसने सभी कुछ दिया,
या खुदा ये तेरी ही तो रहमत रही।2

वीर सैनिक जो कुर्बान होते रहे,
वे लड़े जब तलक तन में ताकत रही।3

मेरी कोशिश थी नफ़रत हटे प्यार से,
उनके दिल में हमेशा ही नफ़रत रही।4

सुब्ह उठ कर नहीं कुछ भी वो कर सके,
देर से जागने की जो आदत रही।5

रोजी रोटी व कपड़ों के लाले पड़े,
ज़िंदगी भर गरीबी में जिल्लत रही।6

मैं हूं प्रेमी उन्हें प्यार करता रहा,
उनको हो या न हो मुझको उल्फत रही।7

……….✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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