मां की ममता
जग में बड़ा न कोए,
मां की ममता के आगे,
भगवान भी नतमस्तक होए।
गर्भ धारण से लेकर जन्म तक,
मां तकलीफें उठती है।
जन्म होने पर संतान के ,
सब कुछ भूल जाती है।
इतना प्यार कहां से आता है,
मां के आंचल में।
कि वो अपना सब कुछ भूल जाती है,
इसी चला चल में।
निस्वार्थ प्रेम वह अपने ,
बच्चों पर लुटाती है।
बदले में वह प्यार कि तम्मना ,
भी न कर पाती है।