मां की ममता
किलकारी उठती बेटे की घर के सुनें आँगन में
मां के चेहरे पर नूर बरसता खुशी बरसती सावन में।।
बेटा अपना पूरा बचपन मां की गोद मे सोता है
श्रवण सा होगा मेरा बेटा ये सपना मां का होता है ।।
बच्चे से हमकों देख बड़ा मां मन ही मन खुश होती है
पैदा होते है जब हम तब से अब तक वो रोती है।।
दर्द भले कितना भी हो मां कभी नही बतलाती है
हमको दूध पिलाकर मां खुद भूखी सो जाती है।।
क्या हम समझें मां की ममता बिन बोले कह देती है
हम खाते है और सोते है वो नौ महीने सह लेती है।।
दिल में दर्द आँख में आँसू मां को ये सुख देता है
पर राम सा हो या हो रावण मां के लिए तो बेटा होता है।।
बेटा शादी करते ही भूल क्यो मां को जाता है
शहर घुमाने बीबी को जब बेटा कार से आता है।।
तब फटी चिथि साड़ी पहनें मां मिल जाती चौराहें पर
देखों मां के दूध का बेटा कैसे कर्ज चुकाता है ।।
✍पंकज पंडित कविराज
9453861830