आकार ले रही हूं।
आकार ले रही हूं।
विस्तार ले रही हूं।।
मैं नारी हूं।
साकार ले रही हूं।।
विचार बन रही हूं।
संस्कार दे रही हूं।।
मैं नारी हुं।
आवाज बन रही हूं।।
दुर्गा,चण्डी,काली हूं।
मैं भी अब शक्तिशाली हूं।।
मैं नारी हूं।
दृढ़ इच्छाशक्ति वाली हूं।।
मैं देव शक्ति हूं।
मैं देव भक्ति हूं।।
मैं नारी हूं।
मैं सौंदर्य की अभिव्यक्ति हूं।।
श्रृंगार भी करती हूं।
मैं संघार भी करती हूं।।
मैं नारी हूं।
मैं यथार्थ में रहती हूं।।
तुच्छ नही मैं श्रेष्ठ हूं।
गृह नहीं मैं देश हूं।।
मैं नारी हूं।
शक्ति का मैं समावेश हूं।।
मैं जननी हूं।
दुःख हरनी हूं।।
मैं नारी हूं।
सदियों से मैं ज़ख्मी हूं।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ