मां की चिठ्ठी
बेटाआ जाओ एक बार तुम्हारी याद सताती है
रुपया डॉलर तो बबुआ तुमने बहुत कमाए
ऐंसे गए परदेस की बबुआ, लौट न घर को आए
क्या याद नहीं मां की आती है, मिल जाओ एक बार तुम्हारी याद सताती है
न शरीर ही साथ अब देता, उम्र भी निकली जाती है
कब टूटे सांसों की डोरी, आंख मेरी भर आती है
आ जाओ एक बार, तुम्हारी याद सताती है
आ जाना एक बार, माटी गांव की ले जाना
ले जाना गंगाजल, अपने परदादा की पोथी
रख लेना अपने पूजा घर में, जो वतन की याद दिलाएगी
यदा-कदा इसी बहाने, याद मेरी भी आएगी
बेटा तेरे कठिन समय में, यह काम बहुत ही आएगी