-मां का सम्मान
बचपन में मां गोदी ही सहारा था
मां का आंचल संसार से प्यारा था
हमें सूखा बिस्तर देकर
खुद गीले में सो जाती थीं
बुरी नजर से हमें बचाने
काला टीका लगाती थी
बच्चों की हर नादानी को
अंतर्मन से सदा सहेजा था
मेरे प्रश्नों का जवाब दे
मां ने हमें हमेशा पुचकारा था
मेरी राहों के कांटे चुन
मंजिल की राह बनाती थी
खुद रुखा खा कर
हमें पकवान खिलाती थी
गलती पर डांट हमें लगा समझाती थी
याद करूं उनकी ऐसी परवरिश
मैं भी उनकी जैसी बन जाती हूं
हर मां का मैं सम्मान करती हूं
– सीमा गुप्ता