मां का संदेश
व्यथित होता मन उर में आवेश आता है।
मेरी मां का जन्नत से तब संदेश आता है।।
करुण क्रंदन से मन जब त्रस्त हो जाए।
जब राह में बाधाएं कठिन खड़ी हो जाएं।।
तब मां की सिखावन का आदेश आता है।
पता कौन सा लिखके पतियां तुझे भिजाऊं।
दूर देश में तेरा बसेरा मिलने कैसे आ पाऊं।।
तेरा चूल्हा चिमटा याद मुझे विशेष आता है।
स्नेह सिक्त हाथों से सिर मेरा सहलाएगी।
जब मैं रूठा तब तू आकर मुझे मनाएगी।।
किस विधि से कोई पत्र तेरे देश जाता है।।
उमेश मेहरा
गाडरवारा ( एम पी)