मां का किरदार
मुहब्बत में ऐसा कोई वफादार नहीं होता
दुनिया में मां जैसा कोई किरदार नहीं होता
रब ने मां के कदमों को यूं ही नहीं बख्शी जन्नत
खफा हो मां तो कोई सजदा शुमार नहीं होता
इस दुनिया में यूं तो गम बांटने वाले बहुत है
मगर मां की तरह कोई गमख्वार नहीं होता
मुझे उसकी गोद से छोटी लगती सारी दुनिया
मां के आंचल से बड़ा कोई संसार नहीं होता
मुहब्बत में मतलब परस्ती हमने खूब देखी है
किसी मतलब से मां को सरोकार नहीं होता
शाम होते ही बजने लगती हैं फोन की घंटियां
हद से बहुत ज़्यादा उसको इंतजार नहीं होता
परदेस जाने की मुझे दे तो देती है इजाजत
मगर उसके जिगर से तो ये हर बार नहीं होता
बच्चों को मिरे लगाती है वह मुझसे भी ज्यादा
सबकी किस्मत में तो दादी का प्यार नहीं होता