मां करुणा की सागर है
मां सारे जग की जननी है, मां सारे जग को जनती है
पालन पोषण करती है, सबको धारण करती है
ईश्वर तो है निराकार, साकार है मां जग जननी है
मां की आंखों में ममता है, हृदय प्रेम का सागर है
सबसे बड़ा मां का आंचल है, जिसमें विश्व समाता है
मां करुणा की सागर है, प्यार भरी अमृत गागर है
मां से न कोई जग में, मां तो खुशियों का सागर है
कष्ट कभी न मां पर आए, आंख के आंसू छलक जाए
मां तो बस मां ही होती है, मां का दिल दुखने ना पाए