मां- एक अहसास
मां- एक अहसास
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मां
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माँ
तुम आज
नहीं पास
पर तुम्हारा
अहसास
फिर से
है आस पास
आज बहुत मन
है करूं तुमसे
बात
तुम्हारी गोद
रखूं सर अपना
तुमसे करूं
सुख दुख सांझा
कुछ देर को
मेरा सर हो
तुम्हारा कांधा
मैं रोऊं
ॹारोॹार
फूट फूट कर
आज फिर से
जलाओ
वो चूल्हा
पुराने घर के
आँगन में
तुम बनाओ
मुझे प्यार से
ममता का छोंक
लगा कर खिलाओ
तुम मां हो न
बिन बोले
समझती हो न
आज न सही
कल कह लेना
मुझे पता है
तुम हो आस पास
है अहसास
तुम्हें भी
मुझे भी
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राजेश’ललित’