मां,कोरा मे अप्पन भू संग लिअ (कविता)
हिअ बेथासँ गहर खसू बड जोर कनाबै
मां मनुख वरन नहि दिअ नितु सताबै
मा,कोरा मे अप्पन भू संग लिअ
गंगा मां तमसायल ससंग लिअ
आत्मा घेरल सगरे पाबि,हमर केअ
जग ठुकरायल हम
तनि तनि मे
सिसक सिसक लधूर नेप कनाबै
मां ,कोरा मे अप्पन भू संग लिअ
गंगा मां तमसायल ससंग लिअ
मां,नैय रहि ऐहि जग मे
नहि ऐहन कोनो काज करि
ममतामय आंचर कें बदनाम करी
खुस खुसी नैय भेटल कतहुँ
अपनेक चरण जानि अनुज
अहूँ कबहु नवजय देव क भू चरण धरी
आब उठ बैसू
मोरा हिअ हसूलि जानि आंचरा मे नुका लिअ
मां, कोरा मे अप्पन भू संग लिय
गंगा मां तमसायल ससंग लिअ
मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य