माँ
बच्चों को खिलाकर जब सुला देती है माँ
तब जाकर थोड़ा सा सुकून पाती है माँ
प्यार कहते है किसे ओर ममता क्या चीज़ है
कोई उन बच्चो से पूछे जिनकी गुजर जाती है माँ
चाहे हम खुसी में माँ को भूल जाएं मगर
जब मुसीबत आये तो याद आती है माँ
माँ के लिए क्या लिखूं माँ ने खुद मुझे लिखा है।
फिर वही जहाँ मिले वही गोद फिर वही माँ मिले।
राजेश माधव जी चतुर्वेदी
दुबई