माँ
माँ
माँ का नाम स्मरण ही , दुःखों का निवारण हैं ।
माँ का आशीर्वाद ही , सभी सुख-समृद्धि वरण हैं।।
माँ का आँचल ही जन्नत है ।
माँ की ममता ही प्रेम-करुणा की मुरत हैं ।
माँ का स्वरुप ही ब्रह्मण्ड हैं ।
माँ का अस्तित्व ही अखण्ड हैं ।।
इसलिए –
माँ का ना करो अनादर ,
माँ की आवाज़ आते ही दौड़े चले जाहिऐ।
माँ को कुछ नही चाहिऐ ,
बस एक आपकी नजदीक की झलक चाहिऐ ।।
सारा जग सुख-दुःख में उलझा हुआ हैं ।
अपने कर्तव्य में दौड़ कर सुलझा रहा हैं ।।
बस थोड़ा समय चुराकर दो मिठे बोल बोलना है ।
बस थोड़ा समय चुराकर दो मिठे बोल बोलना है ।।
कापीराइट –
– राजू गजभिये
बदनावर जिला धार ( मध्यप्रदेश )
पिन – 454 660
प्रमाणित किया जाता है की माँ कविता
स्वरचित हैं ।
– राजू गजभिये
बदनावर जिला धार ( मध्यप्रदेश )