माँ
चाँदनी, धूप – छाँव सी हो तुम
करती माँ मुझमें रोशनी हो तुम
जान लेती हो बात दिल की माँ
आसमानी कोई परी हो तुम
तुमको छूते ही भागते सब दुख
कोई जादू की माँ छड़ी हो तुम
सख्त माँ दिखतीं जितनी बाहर से
नर्म अन्दर से मोम सी हो तुम
एक आवाज में ही उठ जातीं
चाहे कितनी भी माँ थकी हो तुम
ईश दिखता तुम्हारी सूरत में
‘अर्चना’ हो , माँ बन्दगी हो तुम
02-01-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद