माँ
ना जानें क्यूं मैं इतनी जल्दी बड़ा हो गया ,
मैं अपने पैरो पर भी खड़ा हो गया ।
वो बचपन की बातें अब भी याद है मुझे ,
ना जानें क्यूं ये बेवजह हो गया ।
मैं जब कभी बीमार भी हुआ
तुम सर पे हाथ रख दी तो अच्छा हो गया ।
मैं कितना भी बड़ा क्यूं ना हो जाऊ ,
तुम पास आई तो मै बच्चा हो गया ।
वो दिन भी याद है हमें …जब झूठ बोल जाते थे हम ,
अब तो बड़ा होकर सच्चा हो गया …
✍? हसीब अनवर