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17 Feb 2024 · 1 min read

माँ

स्त्री! माँ रुपा अवतार जगत की
रचना ईश्वर ने रची महान है॥१॥
जब यह पाएं पद्दवी मातृत्व की
सचमुच बहुत शीर्षस्थ स्थान है॥२॥
अलंकृत दृष्टि पद गहन की
सुसज्जित हृदय सदैव सम्मान है॥३॥
पद नवीन मिले जब “माँ” जी।
श्रृंगार – वात्सल्य शोभायमान है॥४॥
करुणा अपार संसार की
अद्भूत स्नेह, न अभिमान है॥४॥
प्रेम, ममता मूरत त्याग की
रचना सृष्टि की महान है॥६॥
इस जगत में सभी सुखों की
माँ ही सबसे बड़ी खान है॥७॥
बिन माँ यह अंबर सूना
यह धरा भी सुनसान है॥८॥
मिले आंचल जब तक माँ का
सुरक्षित तब तक संतान है॥९॥
स्त्री! माँ रुपा अवतार जगत की
रचना ईश्वर ने रची महान है॥१०॥

मौलिक, स्वरचित एवं अप्रकाशित

✍संजय कुमार”सन्जू”
शिमला, हिमाचल प्रदेश

Language: Hindi
142 Views
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