” माँ “
कविता-16
माँ
तेरे बिना लगता है सब कुछ अधूरा,
तू ही तो है मेरे जीवन का सवेरा,
ज़माने मे बहुत लोग रहते है,
मगर कोई कर नहीं सकता है तेरी कमी को पूरा,
तेरी याद मुझे बहुत रुलाती है,
तेरी हर बात मुझे बहुत याद आती है,
चाहता हूं सदा तेरे साथ रहूं मगर,
झूठी शान मेरी तुझसे दूर बहुत ले जाती है,
कभी- कभी दिल करता है तेरे पास आ जाऊं,
फिर बचपन की तरह तेरे सीने से लिपट जाऊं,
और कब तक जिम्मेदारियों का बोझ मैं उठाऊं,
छोड़ फिकर ज़माने की सारी फिर से तेरा नन्हा बन जाऊं,