माँ
उस चांद की है सारी चांदनी,
ओर उसे मामा बताया है !!
देकर के नया जीवन जिसने,
मुझे जीना सिखाया है!!
दूखा कर आंखो को उसकी,
मैने जब भी उसे जगाया है!!
गाकर के लोरी उसने,
हर बार मुझे सुलाया है!!
भुला कर शर्म जिसने,
भीड़ में भी सीने से लगाया है!!
जब जब था में भूखा,
मुझे अपना दूध पिलाया है!!
आसमान की सब परियो को जिसने,
मेरी सखियां बताया है!!
उंगली को थामकर जिसने,
मुझे चलना सिखाया है!!
उस माँ के लिए ओर क्या लिखूं,
जिसने मुझे लिखना सिखाया है!!
मृत्युंजय सिसोदिया
9549403468
mratyunjaysisodiya@gmail.com