Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Dec 2017 · 1 min read

माँ

खड़ी हूँ मैं बुलन्दी पर मगर आधार तुम हो माँ
मेरी पूरी कहानी का प्रमुख किरदार तुम हो माँ
हूँ तुमसे दूर कितनी भी दुआ बन साथ रहती तुम
जो पावन ‘अर्चना’ जैसा वो पहला प्यार तुम हो माँ

डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
536 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
बसंत बहार
बसंत बहार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
سیکھ لو
سیکھ لو
Ahtesham Ahmad
देता मगर न वोट , अश्रु से रोता नेता (हास्य कुंडलिया)
देता मगर न वोट , अश्रु से रोता नेता (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
संत गाडगे सिध्दांत
संत गाडगे सिध्दांत
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
घर वापसी
घर वापसी
Aman Sinha
वो सबके साथ आ रही थी
वो सबके साथ आ रही थी
Keshav kishor Kumar
ग़ज़ल/नज़्म - दस्तूर-ए-दुनिया तो अब ये आम हो गया
ग़ज़ल/नज़्म - दस्तूर-ए-दुनिया तो अब ये आम हो गया
अनिल कुमार
पुरातत्वविद
पुरातत्वविद
Kunal Prashant
कविता :- दुःख तो बहुत है मगर.. (विश्व कप क्रिकेट में पराजय पर)
कविता :- दुःख तो बहुत है मगर.. (विश्व कप क्रिकेट में पराजय पर)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*ताना कंटक सा लगता है*
*ताना कंटक सा लगता है*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तुमसे मैं एक बात कहूँ
तुमसे मैं एक बात कहूँ
gurudeenverma198
There are seasonal friends. We meet them for just a period o
There are seasonal friends. We meet them for just a period o
पूर्वार्थ
आनंद
आनंद
RAKESH RAKESH
अतुल वरदान है हिंदी, सकल सम्मान है हिंदी।
अतुल वरदान है हिंदी, सकल सम्मान है हिंदी।
Neelam Sharma
■ नज़्म-ए-मुख्तसर
■ नज़्म-ए-मुख्तसर
*Author प्रणय प्रभात*
मुर्दे भी मोहित हुए
मुर्दे भी मोहित हुए
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
मायका
मायका
Mukesh Kumar Sonkar
बरगद और बुजुर्ग
बरगद और बुजुर्ग
Dr. Pradeep Kumar Sharma
2481.पूर्णिका
2481.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"मैं-मैं का शोर"
Dr. Kishan tandon kranti
गांधी से परिचर्चा
गांधी से परिचर्चा
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
चार लाइनर विधा मुक्तक
चार लाइनर विधा मुक्तक
Mahender Singh
“ कितने तुम अब बौने बनोगे ?”
“ कितने तुम अब बौने बनोगे ?”
DrLakshman Jha Parimal
यारा ग़म नहीं अब किसी बात का।
यारा ग़म नहीं अब किसी बात का।
rajeev ranjan
मरने वालों का तो करते है सब ही खयाल
मरने वालों का तो करते है सब ही खयाल
shabina. Naaz
मेरे तात !
मेरे तात !
Akash Yadav
मैं लिखूंगा तुम्हें
मैं लिखूंगा तुम्हें
हिमांशु Kulshrestha
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
पंचतत्व
पंचतत्व
लक्ष्मी सिंह
फितरत दुनिया की...
फितरत दुनिया की...
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...