माँ
अँगुली धरन हमें चलना सिखाई वह,
बगैर मोह के परिचर्या करती वह,
निस्वार्थ मानस से स्नेह करती वह,
अपने हस्तों से खाना सिखाई वह,
वह है हमारी प्रणयिनी माँ।
पग – पग पर कंटक बिछाएँ थे मेरे निजों ने,
उन्हीं कंटक पर चल जिसने मुझे पाला है,
जीवन में अच्छे – बुरे का संकेत देती है वह,
जिसकी गोद में जन्नत का सुख संप्राप्ति है
वह है हमारी प्यारी माँ।
जग के सभी अनमोल रिश्तों में,
सबसे गहता रिश्ता होता माँ का,
अकसर पात्र हो जाने पर मनुज,
माँ के रिश्ते को ही भग्न देते है,
वह है हमारी अमूल्य धरोहर माँ।
जिन्हें न मिलता माँ की ममता,
तड़पता माँ की ममता पाने को,
जब भी मिली हमें विफलता हैं,
सफलता का पथ दिखाई है वह,
वह है हमारी मर्मज्ञ माँ ।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या