माँ
जब मैं शरारत करता ,
कान पकड़ समझाती थी वह ,
गलत राह को छोर हमें ,
सही राह दिखाती थी वह ,
कितने सुहावने दिन थे वह ,
जब उसकी गोद में खेलते हम ,
उसकी ऊँगली पकड़ हम ,
दिन भर घुमा करते थे।
नेक राह पे चलता है जो ,
जीवन पथ में बढ़ता है वह ,
यह माँ ने हमें सिखाया है ,
अपना मंजिल पा लेता है वह
संसार में नाम कमा लेता है वह
मेरे भी अरमान यही है ,
मैं भी कुछ कर दिखलाऊँ ,
अपने मंजिल को पाकर मैं ,
माँ का सम्मान बढ़ाॐ।
नाम – प्रभात प्रजापति
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय ,बिहार