माँ
एक बच्चे ने माँ से प्रश्न किया…. कि जिनकी माँ नही होती उनके लिए दुआ कौन करता है… ?? तो माँ ने बहुत सुंदर जवाब दिया … कि दरिया सूख भी जाएँ तो मिटटी से नमी नही जाती…. इसी तरह माँ कहीं भी रहे अपने बच्चों के लिए दुआ करती ही रहती है।
मै ढूँढने चली जो कि मेरा मुझमे क्या है।
सूरत हो या की सीरत माँ तेरा दिया हुआ है।।
थामी जो ऊँगली तूने तो मैंने चलना सीखा।
तेरे ही हौंसलों से गिरकर सम्भलना सीखा।।
देखे जो सपने मैंने रंग तूने उनमे डाला।
हरगिज़ न डगमगाऊँ ऐसे जतन से पाला।।
जब भी कोई की गलती तो देखा ओर तेरी।
तूने ही पढ़ा जाना खामोशियों को मेरी।।
दुनिया की भीड़ में हूँ मै जब से खोई खोई।
माँ तेरे आँचल जैसा आँचल मिला न कोई।।
तेरी दुआएं हर पल राहें सवारें मेरी।
तू फिर भी बांधे धागे नज़रें उतारे मेरी।।
दूरी माँ तुझसे यूँ तो मुझको बहुत है खलती।
पर स्नेह साथ तेरा है सीख साथ चलती।।
स्वरचित
डॉ मीनाक्षी शर्मा