माँ
माँ के साथ बिताए खुशनसीब लम्हें,
सारी जिन्दगी भूल न पाऊगाँ,
तूने हाथ पकड़कर चलना सिखाया,
तुझे कैसे मैं भूल जाऊगाँ ।
मुझे जब भी डर लगता,
तेरे आँचल में छुप जाता था,
तेरी ऊँगली पकड़कर मैं,
हर दहलीज पार कर जाता था ।
मैं जब कभी बीमार हुआ,
तेरी रातों की नींद उड़ सी गयी,
हर पल मेरे सिरहाने में बैठे,
तू रातें गुजार देती थी।
उन लम्हों को याद कर,
मैं आज भी रो पड़ता हूँ,
मेरी खुशी के लिए,
अपनी हर खुशी छोड़ दी।
खुदा भी कुछ सोच-समझकर,
माँ को बनाया होगा,
हर दर्द की मरहम माँ है,
हर चोट की इलाज माँ है,
माँ है तो सारी जन्नत है आपकी ।