माँ
माँ के चरणों में मैंने जन्नत को देखा है।
माँ ही वो शख्स है,जिसके लिए मैंने
ख़ुदा को तरसते देखा है।
माँ ने मेरी खातिर हर
मुश्किल को आसां बनाया है।
काँटो के मध्य रहकर
फूलों कि तरह खिलना सिखाया है
हर वक़्त माँ को मैंने मुस्कुराते देखा है
मेरी हर एक छोटी सी खुशी के लिए
दुखों को गले लगाते देखा है।
नीम, हकीम के ताबीजों में नहीं
मैंने माँ की दुआओं में
दवाओं सा असर देखा है।
सवर्ग का तो पता नहीं मुझे
लेकिन मैंने माँ के चरणों में ही
स्वर्ग को देखा है।
भूपेंद्र रावत