माँ
माँ
तू दृश्य अभिराम
जीवन की बहती नदिया
कभी रुकी पवन सी
कभी चले मन भाती पुरवाई
माँ तू ममता की सीपी का मोती है
माँ तू घिरती संध्या का
जलता दीपक
तू रातों की जगी चांदनी
आचार विचारों की थाती
मन में यह जो जागे
उन एहसासों की रंगीन होली है
मां तू साया, तू आंचल
तू धूप छांव सी प्यारी
तू बगिया की चहकी कोयल
तू मौन राग सी गूँजी है
तू बासंती बयार की बोली है
माँ तू मीठी सी गोली
तू नमक स्वाद जीवन का
तुम बिन क्या
वार क्या त्योहार
तू पूजा की अक्षत रोली है
मीनाक्षी भटनागर
स्वरचित