Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Nov 2018 · 1 min read

माँ

——- कविता :- #माँ —- —

माँ तेरी ममता याद आती है,

तू मुस्कुराती मेरी रूह मुस्कुराती है,

आंखों में नींद न आती,

जब जब तेरी याद आती है,

होंठो की हँसी में तूँ है बसी,

मेरे गालों की चमक तूँ बन जाती।

दूर मुल्क में जब कोई,

गम या रुषबाई सताती है,

मां तेरा प्यार तेरी ममता याद आती है,

मैं जिधर देखता हूँ उधर माँ दिखती है,

कलम उठती है सारा जहां लिखने,

बस एक शब्द माँ लिखती हैं।

लाख मोहोब्बत कर लूँ गैरो से ,

फिर भी ना उठना चाहूँगा उस के पेरो से ,

जिसके कदमो में आँचल में जग संसार है,

जो ममता का सागर जगत का सार है,

हूँ मैं जिस जिगर का टुकड़ा ,

मुझे उस माँ से प्यार है,

मुझे उस माँ से प्यार है,

——– संजय सिंह —————
ग्राम पोस्ट तहशील मालथौन,
जिला – सागर, मध्यप्रदेश

10 Likes · 52 Comments · 787 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अपने दिमाग से वह सब कुछ मिटा
अपने दिमाग से वह सब कुछ मिटा
Ranjeet kumar patre
पिता
पिता
Raju Gajbhiye
बहुत मुश्किल है दिल से, तुम्हें तो भूल पाना
बहुत मुश्किल है दिल से, तुम्हें तो भूल पाना
gurudeenverma198
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
प्रीतघोष है प्रीत का, धड़कन  में  नव  नाद ।
प्रीतघोष है प्रीत का, धड़कन में नव नाद ।
sushil sarna
ऐसा क्यूं है??
ऐसा क्यूं है??
Kanchan Alok Malu
भूगोल के हिसाब से दुनिया गोल हो सकती है,
भूगोल के हिसाब से दुनिया गोल हो सकती है,
P S Dhami
*शिक्षा-संस्थाओं में शिक्षणेतर कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूम
*शिक्षा-संस्थाओं में शिक्षणेतर कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूम
Ravi Prakash
एक अकेला रिश्ता
एक अकेला रिश्ता
विजय कुमार अग्रवाल
2801. *पूर्णिका*
2801. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गांव
गांव
Bodhisatva kastooriya
शालीनता की गणित
शालीनता की गणित
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
पात कब तक झरेंगें
पात कब तक झरेंगें
Shweta Soni
करना है कुछ खास तो, बनो बाज से आप।
करना है कुछ खास तो, बनो बाज से आप।
डॉ.सीमा अग्रवाल
सबला नारी
सबला नारी
आनन्द मिश्र
बघेली कविता -
बघेली कविता -
Priyanshu Kushwaha
मुकद्दर से ज्यादा
मुकद्दर से ज्यादा
rajesh Purohit
जब तुम नहीं कुछ माॅंगते हो तो ज़िंदगी बहुत कुछ दे जाती है।
जब तुम नहीं कुछ माॅंगते हो तो ज़िंदगी बहुत कुछ दे जाती है।
Ajit Kumar "Karn"
कामवासना
कामवासना
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
लोग गर्व से कहते हैं मै मर्द का बच्चा हूँ
लोग गर्व से कहते हैं मै मर्द का बच्चा हूँ
शेखर सिंह
काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं
काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं
पूर्वार्थ
जब तक बांकी मेरे हृदय की एक भी सांस है।
जब तक बांकी मेरे हृदय की एक भी सांस है।
Rj Anand Prajapati
"ममतामयी मिनीमाता"
Dr. Kishan tandon kranti
बुढ़ापा भी गजब हैं
बुढ़ापा भी गजब हैं
Umender kumar
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
फिर से
फिर से
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मुक्तक
मुक्तक
डॉक्टर रागिनी
"इन्तेहा" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
चाहत बेहतर स्वास्थ्य की
चाहत बेहतर स्वास्थ्य की
Sunil Maheshwari
तुझे स्पर्श न कर पाई
तुझे स्पर्श न कर पाई
Dr fauzia Naseem shad
Loading...