माँ
तुम्हारी ऑखों की जलबिंदुओं में देखा है हमने
सातों नदियों का जल ।
तुम्हारी ममता की आभा में दिखाई देते हैं हमें
इन्दृधनुष के सप्त रंग ।
तुम्हारी लोरियोंं से ही सीखा है हमने
सात सुरों का ज्ञान ।
तुम्हारी बाहों के झूले पर ही उड़ान भरी थी
सातवें ऑसमॉ तक ।
तुम्हारी अँगुली को थामते ही पार कर लिए थे हमने
सातों समन्दर ।
सात जन्मों तक रहना चाहती हूँ तुम्हारे साथ
थाम कर तुम्हारे ऑचल की कोर ।
– अनुराधा दीक्षित, लखनऊ