माँ
लल्ला बोला, माँ से,
माँ मैं चाँद से खेलूंगा।।
माँ बोली,
प्यारा लल्ला मेरा, तू चाँद कैसा लेगा???
लल्ला था बड़ा हठी,
चाँद से वो जोड़ चुका था नाता।।
माँ क्या करे,क्या ना करे
उसे कुछ समझ ना आता।।
अंत मे ,माँ ने एक उपाय सुझाया
ले आयी ,एक घड़ा जल से भरा
रखा उसके सामने और बोली,
ये देख लल्ला तेरे लिये चाँद
आसमां से पानी मे उतर आया।।
दुर्गा बंदोपाध्याय
कोलकाता