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28 Nov 2018 · 1 min read

माँ

एक अरसा हुआ तुझसे बिछड़े माँ
अब वो स्पर्श नहीं मिलता
ना कोई छूता है प्यार से माथा मेरा
ना उलझे बालों को सँवारता है कोई

आखेँ तो यूँ भी थक कर सो जाती हैं
पलकों को अब कोई नहीं सहलाता
पर वो स्पर्श आज भी जिंदा है मेरे अहसासों में
“माँ” सहलाया करती थी माथा
चूम लेती थी पलकें सोते में
भूल जाती थी मैं दुनियाँ का हर दर्द
छुप कर माँ के आँचल की ठंडी छाँव में

अब कोई भी छाँव वो सुकून नही दे पाती
ज़िन्दगी की राहों पर चलते हुए
अक्सर झुलस जाते है पाँव मेरे
पर तेरे आँचल की ठंडी छाँव अब नसीब नहीं होती
पर तेरी दी हुई सीख मेरी हर हार पर संभलने का
हौसला देती है मुझे

अब तो बस इतना याद है कि तू आज भी मेरे आस पास है
ये अहसास मेरे जीने का संबल है
बस इतना ही कहना चाहती हूँ कि तुम ऐसे ही हमेशा मेरे
अहसासों में जिंदा रहना

मीनाक्षी वर्मा

Language: Hindi
8 Likes · 12 Comments · 1241 Views
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