माँ
माँओं ने कई सदियाँ बिताई है
एक स्त्री के रूप में
जो कभी बेटी बनी, तो कभी पत्नी
और अंत में बनी एक माँ!
हर रूप में उसका संघर्ष
रात के अंधेरे की तरह बढ़ता ही रहा
और उसने अपने हर संघर्ष को
घर की दीवारों में दफ़न कर दिया!!
उसने माँ के रूप में तूफानों के बीच
अंधेरों से एक रोशनी बचाई है
ताकि हम जब भी उससे मिले
तो उजाले में मिल सकें
और वो उजाला दिखा सकें
हमारी आंखों में उसके लिए
आदर और प्यार!!
एक दिन हम कह सकेंगे
कि ये वही उजाला है
जो माँ ने सूरज से चुराया था,
दुनिया से बचाया था,
जो दीप्तमान हुआ था
उसकी आत्मीयता के प्रकाश से,
वो उजाला जो कभी उसका था
लेकिन जिसने हमें रोशन किया है!!