माँ
इक्कीस बरस का वैधव्य जीवन ढोती माँ;
बाईस बरस की बेटी की चिंता करती माँ।।
नौकरी में तबादले पर दर दर फिरती माँ;
नैनों के नीर में मुस्कानें धरती माँ।।
जिन्दगी के पन्नों को सियाह करती माँ;
हर पल अपने उनको याद करती माँ।।
कैसे करुँ बेटी के पीले हाथ,क्या न सहती माँ;
क्यूँ ना ले गये मुझे भी साथ, अकेले में कहती माँ।।…
सपना दत्ता
नई दिल्ली