माँ
एक मुट्ठी तुम्हारी सौम्यता
एक चुटकी मुझ सा
गुस्सा भी
थोड़ी सी मेरी खीझ
थोड़ी अपरिपक्वता
कुछ कतरे तुम्हारे धैर्य के
थोड़ी मुझ सी बेसब्री
चंद छींटे तुम्हारा इश्क़
कुछ बूँदे मेरा जुनून
मुस्कराहट तुम्हारी
आँखें भी तुम सी ही
चमकीली – गहरी काली
रँग दोनों का मिला जुला
गर्भ की गीली मिट्टी से
एक नयी सृष्टि गढ़ रही हूँ इन दिनों !
तुझे ही जन्म दे कर इक रोज़
मैं नया जन्म लेने जा रही हुं…
मैं माँ बनने जा रही हुं….
कपिल जैन