माँ
नमस्कार मैं कोई बड़ा लेखक य़ा वक्ता नहीं हु आज आप सभी की शुभकामनाओ के साथ मेरी पहली रचना आप सबको समर्पित आशा है प्यार और सहयोग मिलेगा
शीर्षक माँ
माँ तुमको मैं कैसे लिख दु तुम शब्दो मे कैसे आओगी …
अपना सबकुछ देकर तुझको बस मुझमे खुद को पाओगी ..
माँ तुमको मैं कैसे लिख दु तुम शब्दो मे कैसे आओगी ..
कहदे कोई दुनिया मैं आने का नसीब तुम्हारा हैं
माँ तेरी छाती और आँचल बस मेरा जीवन सारा हैं
कैसे बिताये हैं तुमने वो दिन माँ जब हमें होश न था
हमें सुलाकर सुखे मे खुद को गंदगी का अफसोस न था
जहाँ कहीं भी देखना माँ मुझको चरणो मे पाओगी …
माँ तुझको मैं कैसे लिख दु तुम शब्दो मे कैसे आओगी ..
चल ज़िक्र करू ज़माने का खुद को दुनिया जो कहलवाती हैं
बने बनाये रिश्तो मे ना जाने माँ कहाँ गुम हो जाती हैं
हो जाता हू हैरान देखकर मेरी माँ की ममता को
कहाँ से लाऊँ यूगो यूगो की माँ करुणा की समता को
दुनिया के इस स्वार्थ मे माँ तुम तो गोद मे सुलाओगी ..
माँ तुमको मैं कैसे लिख दु तुम शब्दो मे कैसे आओगी ..
लिख दु चाहे वनो की पत्तियो पर और सागर की स्याही से
मेरी माँ लिखी ना जाएं इस जीवन की भरपाई से ..
करके माँ ममता की छाँव मुझको आँचल मे ढ़क ले माँ
चले ना जाना तुम माँ कहीं मुझको गोदी मे रख ले माँ
जहां भी रख दे इस अपने टुकड़े को खुद का प्रतिबिंब पाओगी
माँ तुमको मैं कैसे लिख दु तुम शब्दो मे कैसे आओगी …
मेरी दूर्गा मेरी शारदा मेरी सांस ह्रदय और तकदीर हो तुम
हो तुम्ही जीने का तरीका मेरी भाग्य कर्म की लकीर हो तुम
माँ तेरे एक एक पल का मुल्य मेरे जीवन से कहीं अमुल्य है
हैं भोली माँ तु क्या जाने तेरी एक झलक सुख सागर तुल्य है
तेरी सीख है मेरा तन मन सब माँ भारती मे पाओगी
माँ तुमको मैं कैसे लिख दु तुम शब्दो मे कैसे आओगी
लक्ष्मी नारायण उपाध्याय (अध्यापक )JMA
गाँव साहवा तहसील तारानगर जिला चुरू राजस्थान