Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Nov 2018 · 1 min read

माँ

. माँ

‘माँ ‘शब्द में करें बसेरा , सब ब्रह्मा , विष्णु और महेश ।
माँ कहने से मुँह भर जाता ,मिट जाते दिल के सब द्वेष।।

ममता, करुणा और प्रेम ,दया, सहानुभूति की खान है माँ ।
बच्चों को है दिल से प्यारी , रूप अलग ,एक जान है माँ।।

पेट में रखा नो महीनों तक , रही होगी कितनी परेशान ।
दूध पिलाकर अपने तन से ,भूख से मेरी बचायी जान ।।

करअपने हाथों पालन,पोषण,भर दियाअमूल्य नैतिक ज्ञान।
दुख,दर्द सहे चुपचाप सभी,न छिपी कभी मुख से मुस्कान।।

भूल सकूँ नहीं माँ वह लोरी, खुद जगी पर मुझे सुलाया ।
मिली न फुर्सत तुझे कभी , पर हर रोज मुझे नहलाया।।

मैं था जिद्दी और शरारती ,माँ रो-रोकर तुझे खूब रुलाया।
लातें मारकर , गीला करके , मैंने रात भर तुझे जगाया ।।

हाथ सदा रहा सिर पर तेरा ,माँ दुआ सदा रही मेरे साथ ।
संभल गया उस दिन से मैं ,पकड़ी उँगली जब तेरी हाथ।।

अपनी तरफ से कसर न रखी ,जितना माँ तुमसे हो पाया ।
एक अज्ञानी को गढ़ तूने ,दिया ज्ञान सभ्य इंसान बनाया ।।

न इतनी शक्ति मेरी कलम में, जो करदे माँ तेरा व्याख्यान ।
सौ जन्मों तक करके सेवा ,न चुका सकूँ माँ तेरा अहसान ।।

नफे सिंह योगी मालड़ा
जिला महेंद्रगढ़ ,हरियाणा
स्वरचित रचना

Language: Hindi
4 Likes · 7 Comments · 417 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"यादों के झरोखे से"..
पंकज कुमार कर्ण
'Being human is not that easy..!' {awarded poem}
'Being human is not that easy..!' {awarded poem}
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जाति बनाम जातिवाद।
जाति बनाम जातिवाद।
Acharya Rama Nand Mandal
समल चित् -समान है/प्रीतिरूपी मालिकी/ हिंद प्रीति-गान बन
समल चित् -समान है/प्रीतिरूपी मालिकी/ हिंद प्रीति-गान बन
Pt. Brajesh Kumar Nayak
नेता पक रहा है
नेता पक रहा है
Sanjay ' शून्य'
3190.*पूर्णिका*
3190.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कलियुग में सतयुगी वचन लगभग अप्रासंगिक होते हैं।
कलियुग में सतयुगी वचन लगभग अप्रासंगिक होते हैं।
*Author प्रणय प्रभात*
मैंने पत्रों से सीखा
मैंने पत्रों से सीखा
Ms.Ankit Halke jha
बन के आंसू
बन के आंसू
Dr fauzia Naseem shad
मंजिल की तलाश में
मंजिल की तलाश में
Praveen Sain
हजार आंधियां आये
हजार आंधियां आये
shabina. Naaz
स्वप्न लोक के वासी भी जगते- सोते हैं।
स्वप्न लोक के वासी भी जगते- सोते हैं।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
चंद्र प्रकाश द्वय:ः मधुर यादें
चंद्र प्रकाश द्वय:ः मधुर यादें
Ravi Prakash
!! आशा जनि करिहऽ !!
!! आशा जनि करिहऽ !!
Chunnu Lal Gupta
* वक्त  ही वक्त  तन में रक्त था *
* वक्त ही वक्त तन में रक्त था *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चिड़िया
चिड़िया
Kanchan Khanna
माँ शारदे
माँ शारदे
Bodhisatva kastooriya
हमें सूरज की तरह चमकना है, सब लोगों के दिलों में रहना है,
हमें सूरज की तरह चमकना है, सब लोगों के दिलों में रहना है,
DrLakshman Jha Parimal
Advice
Advice
Shyam Sundar Subramanian
भारत का लाल
भारत का लाल
Aman Sinha
प्यार/प्रेम की कोई एकमत परिभाषा कतई नहीं हो सकती।
प्यार/प्रेम की कोई एकमत परिभाषा कतई नहीं हो सकती।
Dr MusafiR BaithA
काफी है
काफी है
Basant Bhagawan Roy
*वो मेरी जान, मुझे बहुत याद आती है(जेल से)*
*वो मेरी जान, मुझे बहुत याद आती है(जेल से)*
Dushyant Kumar
मुट्ठी में बन्द रेत की तरह
मुट्ठी में बन्द रेत की तरह
Dr. Kishan tandon kranti
" from 2024 will be the quietest era ever for me. I just wan
पूर्वार्थ
भगतसिंह:एक मुक्त चिंतक
भगतसिंह:एक मुक्त चिंतक
Shekhar Chandra Mitra
धन ..... एक जरूरत
धन ..... एक जरूरत
Neeraj Agarwal
"वृद्धाश्रम"
Radhakishan R. Mundhra
स्वप्न ....
स्वप्न ....
sushil sarna
52 बुद्धों का दिल
52 बुद्धों का दिल
Mr. Rajesh Lathwal Chirana
Loading...