माँ
माँ
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माँ जो तू न होती
मैं क्या करती..
कौन मुझे लोरी सुनाता ।
कौन मुझे चलना सीखाता ।
कुछ नहीं हैं दुनियाँ मे..ं
अगर माँ नहीं तो !!
एक नाम में ही सबकुछ
चारो धाम, सारा जहाँ
बसा है एक नजर में
वो नजर जो उतार देती है
हर बलाएँ हमारी
पावन एक शब्द
पावन एक रिश्ता
जिसका न कोई मोल
न कोई तोल
है अनकहा, अनमोल
छूटता नहीं हैं ये
जन्म से मरण तक
सुख में तो सब याद आते हैं ।
दुःख में बस माँ याद आती हैं ।
माँ जो तू न होती
मैं क्या करती..
कुछ नहीं हैं दुनियाँ में
अगर माँ नहीं तो !!
सोनी केडिया
सिलिगुड़ी