माँ
‘माँ’
कहाँ से शुरू करु मैं, तुझें लिखना जब कोख में था मैं तेरे, तब से करू
या फिर जब मैंने इस जहां में अपनी जिंदगी की पहली साँस ली तब से ।
तेरा नो महीनें, मुझें कोख में संभाल कर रखना, उस पल से ही मेरें हर दर्द को, अपना बनाकर सहना
तेरा हर राह पर ख़ुद के साथ मुझें, संभाल कर चलना, ये तो सिर्फ माँ तू ही कर सकती हैं मेरें लिए ।
मेरी पहली साँस पर तेरा, खुशी से रोना, तेरा प्यार से मुझें अपनी बाहों में लेना
उस पल तेरा एकटक मुझें निहारते रहना, बहुत ही ख़ुशनुमा पल थे वो माँ तेरे लिए ।
जब पहली बार मैंने अपने लबों पे पुकारा था नाम तेरा, उस पल तेरा
जोर-जोर से पुकारकर सबकों बुलाना और सबको इस लम्हें के बारे में बताना ।
मेरी एक किलकारी पर तू, दौड़कर आ जाती थी, हर पल खुद से ज्यादा तू, मेरा ख्याल रखतीं थी
अपनी उँगली पकड़कर चलना सिखाया मुझें, मेरें हर दर्द को अपना बनाकर जिया था तूने ।
पता ही ना चला,
कब मैं, अपने घुटनों पर रेंगते-रेंगते, खड़ा हो गया, कब मैं, तेरी ममता की छाँव में, बड़ा हो गया
कब ये वक्त बचपन से चलकर, जवानी तक आ पहुँचा, मगर कभी कम ना हुई, मेरें लिए तेरी ममता इस दौर में ।
मैं जब भी अकेला होता हूँ माँ, तब तुझें याद कर लेता हूँ
मैं चाहें किसी भी बुलन्दियों पर पहुँच जाऊँ, मैं, खुदा को याद न करके, तुझें याद करता हूँ माँ ।
नाम :- तलविंद्र कुमार
पता :- जोधपुर (राजस्थान)