माँ
माँ…
आँसू भी रो देते हैं जब , याद तुम्हारी आती है ,
बेहाल हमें कर देते हैं ,जब याद तुम्हारी आती है ….
ओ माँ मेरी एक बार तो आ ,सीने से लगायेंगे तुझको ,
हर बार लगाया है तूने हमें , हम आज लगायेंगे तुझको …..
अपनापन तुझसा मिला कहाँ , मिल आके.. सुनायेंगे तुझको …..
तेरे जाने से क्या-क्या गुजरी..आ बैठ बतायेंगे तुझको….
बात बात पर तेरा टोकना , उस वक़्त बुरा तो लगता था ,
पर आज समझ में आता है , हर बात का कुछ तो मतलब था …..
ओ माँ एक बार तो आ जाते, हर हाल तुम्हे हम बतलाते ,
मौसम और मुल्क की बात नही अंदर की हालत समझाते …..
लगता है जाने से तेरे , दुनिया खाली ,सुनसान हुआ ,
इन बेकदरों की भीड़ में जैसे, कोई बच्चा गुमनाम हुआ ….
अमरावती गुप्ता …..
सिलीगुड़ी