माँ
माँ की तिल तिल कर
जलती बुझती आंखों में है
उजाले की रेख
तमस में पगडंडी दिखाती …
माँ की दबी सी मुस्कुराहट में है
एक मरती हुई धूप
कान उमेठ कर अभी कह देगी
बड़ा शैतान है रे तू ….
“ निनाद ”
(डॉ एम एल गुप्ता , उदयपुर)
माँ की तिल तिल कर
जलती बुझती आंखों में है
उजाले की रेख
तमस में पगडंडी दिखाती …
माँ की दबी सी मुस्कुराहट में है
एक मरती हुई धूप
कान उमेठ कर अभी कह देगी
बड़ा शैतान है रे तू ….
“ निनाद ”
(डॉ एम एल गुप्ता , उदयपुर)