माँ
………… . . . . ? मुक्तक. ? …………..
छलक जाती मेरी आँखे, तुझे जब याद करता हूँ
पलक पे हैं तेरी यादें , तेरी फरियाद करता हूँ
महक जाता मेरा हर पल, तेरे “माँ” साथ होने पर
मैं हर गम भूल जाता हूँ, तुझे जब याद करता हूँ
निगाहें फेर ली तुमने तो फिर कुछ कर नहीं सकता
तेरे साये में होने से कभी भी डर नहीं सकता
मुझे जब भी जरूरत थी “माँ”तेरा साथ मिलता था
तेरे अहसान हैं इतने अदा मैं कर नहीं सकता
मै रो पड़ता हूँ जब गुजरा जमाना याद करता हूँ
मेरे दर्दों मे अक्सर सिर्फ तुमको याद करता हूँ
खुदा भी स्वयं आकर ही तेरे लब चूम लेता है
सदा सर ही रहे पावों, यही फरियाद करता हूँ
…………………….. योगेन्द्र सिंह योगी
………………कानपुर 7607551907